आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा।
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च।। 3/37
हे अर्जुन! कभी न शांत होने वाली अग्नि की तरह ही मोह, माया और काम ज्ञानियों के ज्ञान को छिपा देता है। यही उनका सबसे बड़ा दुश्मन है।
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च।। 3/37
हे अर्जुन! कभी न शांत होने वाली अग्नि की तरह ही मोह, माया और काम ज्ञानियों के ज्ञान को छिपा देता है। यही उनका सबसे बड़ा दुश्मन है।
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