Thursday, 20 August 2015

जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली 15 अद्भुत बातें

1.गुण - न हो तो रूप व्यर्थ है.
2. विनम्रता- न हो तो विद्या व्यर्थ है.
3. उपयोग न आए तो धन व्यर्थ है.
4. साहस न हो तो हथियार व्यर्थ है.
5. भूख- न हो तो भोजन व्यर्थ है.
6. होश- न हो तो जोश व्यर्थ है.
7. परोपकार- न करने वालों का जीवन व्यर्थ है.
8. गुस्सा- अक्ल को खा जाता है.
9. अहंकार- मन को खा जाता है.
10. चिंता- आयु को खा जाती है.
11. रिश्वत- इंसाफ को खा जाती है.
12. लालच- ईमान को खा जाता है.
13. दान- करने से दरिद्रता का अंत हो जाता है.
14. सुन्दरता- बगैर लज्जा के सुन्दरता व्यर्थ है..
15. सूरत- आदमी की कीमत उसकी सूरत से नहीं बल्कि सीरत यानी गुणों से लगानी चाहिये.

Tuesday, 11 August 2015

विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्

na chorahaaryaM..etc. CLICK FOR MEANING

na chorahaaryaM 
It cannot be stolen by thieves,
na cha raajahaaryaM 
Nor can it be taken away by kings.
na bhraatR^ibhaajyaM 
It cannot be divided among brothers
na cha bhaarakaari | 
It does not cause a load on your shoulders.
vyaye kR^ite 
If spent..
vardhata eva nityam 
It indeed always keeps growing.
vidyaadhanaM 
The wealth of knowledge..
sarvadhanapradhaanaM || 
Is the most superior wealth of all!

Monday, 10 August 2015

9 golden words of Swami Vivekananda

Quote 1
“Anything that makes you weak - physically, intellectually and spiritually - reject it as poison!”

Quote 2
“Talk to yourself at least once a day…otherwise, you may miss a meeting with an excellent person!”

Quote 3
“Relationships are more important than life, but it’s important for those relationships to have life in them!”

Quote 4
“You have to grow from the inside out. No one can teach you, no one can make you spiritual. There’s no other teacher but your own soul.”

Quote 5
“Like me, or Hate me - both are in my favour. If you like me, I am in your heart, if you hate me, I am in your mind.”

Quote 6
“By the study of different religions, we find that - in essence - they are one.”

Quote 7
“Where can we go to find God if we cannot see Him in our own hearts and in every living being !”

Quote 8
“Fill the brain with high thoughts and the highest ideals. Place them day and night before you. Out of that will come great work!”

Quote 9
“Who (ever) is helping you, don’t forget them. Who (ever) is loving you, don’t hate them. Who (ever) is believing you, don’t cheat them.

When Abdul Kalam Meets Swami Sivananda Maharaj


Dr. Abdul Kalam, the former President of India, as a young man, had always wanted to be a pilot: hence, he applied to join the Indian Air Force. The selection board, however, did not shortlist the future president of India. Dejected young Kalam wended his way to Rishikesh, where he met Swami Sivananda of Divine Life society. Kalam recounts this momentous rendezvous with the renown saint, who has changed and is changing many lives in this universe, in his celebrated autobiography, "Wings of Fire" (pg. 19):


"I bathed in the Ganga and revelled in the purity of its water. Then I walked to the Sivananda Ashram situated a little way up the hill. I could feel intense vibrations when I entered. I saw a large number of sadhus seated all around in a state of trance. I had read that sadhuswere psychic people–people who know things intuitively and, in my dejected mood, I sought answers to the doubts that troubled me.


"I met Swami Sivananda–a man who looked like a Buddha, wearing a snow white dhoti and wooden slippers. He had an olive complexion and black, piercing eyes. I was struck by his irresistible, almost child-like smile and gracious manner. I introduced myself to Swamiji. My Muslim name aroused no reaction in himBefore I could speak any further, he inquired about the source of my sorrow. He offered no explanation of how he knew that I was sad and I did not ask. 

"I told him about my unsuccessful attempt to join the Indian Air Force and my long cherished desire to fly. He smiled, washing away all my anxiety almost instantly. Then he said in a feeble, but very deep voice:


'Desire, when it stems from the heart and spirit, when it is pure and intense, possesses awesome electromagnetic energy. This energy is released into the ether each night, as the mind falls into the sleep state. Each morning it returns to the conscious state reinforced with the cosmic currents. That which has been imaged will surely and certainly be manifested. You can rely, young man, upon this ageless promise as surely as you can rely upon the eternally unbroken promise of sunrise… and of Spring.'
When the student is ready, the teacher will appear–How true! Here was the teacher to show the way to a student who had nearly gone astray! “Accept your destiny and go ahead with your life. You are not destined to become an Air Force pilot. What you are destined to become is not revealed now but it is predetermined. Forget this failure, as it was essential to lead you to your destined path. Search, instead, for the true purpose of your existence. Become one with yourself, my son! Surrender yourself to the wish of God,” Swamiji said.

Saturday, 8 August 2015

चिंता करना बंद कर जीना शुरू करें

चिंता करना बंद कर जीना शुरू करें। यह काफ़ी आसान है। यहाँ आठ आसान तरीके बताए गए हैं:

1.    अपने आप को आश्वस्त करें
अपनी चिंताओं से बेफ़िक्र होकर उनका सामना करना शुरू करें। आप ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं और आपके भीतर का डर क्या है इसे समझें और आत्मविश्लेषण करें। फिर अपने आप को गले लगाने का आभास करके अपने आप से कहें कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। चिंता बढ़ने की अवस्था में ऐसा कहें कि स्थिति उतनी बुरी नहीं है जितनी कल्पना की थी।
2.    घबराना बंद करें
चिंता करना बंद करें। अपने आप को उस समान स्थिति की याद दिलाएँ जिसका आप सामना कर चुके हैं और अपने आप से कहें कि कैसे अंत में सब चीजें बिल्कुल सही हो गई थीं। घबराना छोड़ कर चैन की लंबी साँस लें।
3.    नियमित व्यायाम
व्यायाम तनाव को कम करने का एक बढ़िया विकल्प है। यदि आप ऑफिस में हैं तो गलियारों में टहल लें या अपने शरीर में खिंचाव भी पैदा कर सकते हैं। यदि आप काफी ज्यादा थके हुए हैं तो कुछ कदम टहल के आएँ। जॉगिंग, मुक्केबाजी या तैराकी के रूप में कोई भी शारीरिक गतिविधि तनाव के स्तर को नीचे लाने में मदद कर सकती है।
4.    एक गहरी साँस लें
चिंतित होने पर आप तेजी से साँस लेने लगते हैं। आपके फेफड़ों में ऑक्सीजन कम हो जाती है और आप हांफने लगते हैं। अपनी सांसों की रफ़्तार को नियंत्रित करने के लिए एक लंबी और उद्देश्यपूर्ण साँस लें। ऐसा करने से आप शांत हों जाएँगे।
5.    सांझा करना सीखें
उन लोगों के साथ अपनी चिंताओं को सांझा करें जिन पर आप विश्वास करते हैं। चिंता के विषय पर बात करने पर आपको इस बात का अहसास होगा कि वास्तव में समस्या उतनी बड़ी है नहीं जितनी बड़ी नज़र आ रही थी। यदि समस्या बड़ी है फिर भी किसी के साथ बांटने से उसे देखने के नज़रिए में बदलाव ज़रूर आ जाएगा और आप अच्छा महसूस करेंगे।
6.    स्नान का सहारा लें
चरम क्रोध या तनाव के क्षणों में स्नान करना बेहद कारगर होता है। देर तक गर्म पानी से स्नान करने पर आपका शरीर और मन शांत हो जाएगा और आप सीधे सोच पाएंगे।
7.     कलमबद्ध करें
अपनी परेशानी, चिंता को कलमबद्ध करें। इससे आपको अपने अवचेतन की गहराई को प्राप्त करने में मदद मिलेगी और चिंता के मूल कारण का एहसास होगा। यह एक अत्यंत उपयोगी और सकारात्मक व्यायाम है। ऐसा करने पर आप स्थायी रूप से चिंता को दूर होते हुए देखेंगे।
8.    अपने विश्वास को बदलें
अब हम जानते हैं कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ होने या लोगों के बीच बनावटी बने रहने पर चिंता घेरती है। इसलिए चिंता से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है अपने विश्वासों को सही करना। अपनी उस सोच को बदलें जिसके आप आदी हो चुके हैं फिर आप उस परिवर्तन के साक्षी बनेंगे जिसकी आप कल्पना करते हैं। 

ज्ञान ही पवित्र करने वाला है

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। 
तत  स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति । । गीता  4/38 

अर्थ : ज्ञान के समान पवित्र करने वाला इस संसार में निःसंदेह कुछ भी नहीं है। दीर्घ काल तक योगसिद्धि में लगा योगी उस ज्ञान को स्वयं ही अपने आत्मा में पा लेता है।

व्याख्या : आत्म ज्ञान संसार सागर से पार उतारने का श्रेष्ठ मार्ग है। लेकिन यह ज्ञान प्राप्त करना कोई सरल कार्य नहीं है।  इसके लिए एक लम्बे अभ्यास और वैराग्य की आवश्यकता होती है । क्योंकि उस परमात्मा को पाना है जिसके पाने के बाद कुछ और पाने की ज़रूरत ही नहीं रह जाती। उस प्रभु को पा लेने के बाद योगी माया की तरफ न जाकर प्रभु ध्यान में ही लगा रहता है, यही योग है । योग का अर्थ होता है अपने इन्द्रिय, मन, बुद्धि और अहंकार को आत्मभाव से योग करा देना । फिर सब एक ही हो जाता है और योगी अपनी आत्मा का अनुभव करने लगता है फिर दीर्घकाल तक योग के अभ्यास करने से ज्ञान का प्रकाश होने लगता है, चित्त में इकठ्ठा संस्कार ज्ञान की अग्नि से जलने लगते हैं, जैसे ही संस्कारों का नाश होता है, वैसे ही योगी को प्रकृति और आत्मा का भेद पता लगने लगता है, परम चेतना का अनुभव होने लगता है, यही योग सिद्धि कहलाती है । इस अवस्था तक पहुँचने के लिए योगी कई सालों तक पूरी श्रद्धा भाव से तपस्या में लगे रहते हैं, लेकिन कई बार गुरु की कृपा से यह कार्य अति शीघ्र भी हो जाता है।    

उदास और हताश हों, तो याद रखें 10 बातें

हमारे जीवन में अक्सर ऐसे मौके आते हैं जब हम बेहद निराश और उदास होते हैं। ऐसे मौके पर हमें खुद को अपने परिवेश की अच्छी चीजों की याद दिलानी पड़ती है। ऐसा करने से नकारात्मक चीजें अपने आप विलुप्त हो जाती हैं। तो जब भी उदासी और निराशा का बादल गहराए तो इन याद रखें ये 10 बातें- 
1. वक्त सारे घाव भर देता है। 
2. मौके हर जगह हैं। 
3. दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है जो आपकी मदद कर सकते हैं और आपको प्रेरित कर सकते हैं। 
4. अगर आपको अपने बारे में कुछ पसंद नहीं है तो उसे आप कभी भी बदल सकते हैं। 
5. कुछ भी उतना बुरा नहीं है जितना कि दिखता है। 
6. जीवन सुलझा होता है इसे उलझाएं नहीं। 
7. असफलताएं और गलतियां आशीर्वाद और वरदान हैं। 
8. ​जाने दो यारों वाला ऐटिट्यूड अपनाएं, आप हमेशा प्रसन्न रहेंगे। 
9. ये पूरी सृष्टि हमेशा आपके पक्ष में काम करती है न की विरोध में। 
10. हर अगला दिन आपके लिए नयी उमीदों का भण्डार लेकर आता है।

बुद्धि का स्थिर होना जरूरी

तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः।
इन्द्रियाणिन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।। 2/68

हे अर्जुन! जिसने इंद्रियों को मोह-माया और ऐसी ही रमने वाली चीजों से हटाकर अपने वश में कर लिया है, उसकी बुद्धि स्थिर है। 
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जैसे आग में घी डालने से आग और बढ़ती है, वैसे ही इच्छा पूरी करने की चाह मन की आग को और भड़काती है। इससे बचने का एक ही तरीका है और वह यह कि मन को इच्छाओं से हटा लिया जाए। जब तक इंद्रियों को मन और बुद्धि के साथ नहीं लगाएंगे वे कभी शांत ही नहीं होंगी। जैसे ही इंद्रियां बुद्धि के साथ आएंगी वे इंसान के वश में आने लगेंगी। इसके फलस्वरूप बुद्धि का भटकना थम जाएगा और वे स्थिर हो जाएंगी।

ज्ञानियों का सबसे बड़ा दुश्मन

आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा।
कामरूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च।। 3/37


हे अर्जुन! कभी न शांत होने वाली अग्नि की तरह ही मोह, माया और काम ज्ञानियों के ज्ञान को छिपा देता है। यही उनका सबसे बड़ा दुश्मन है।

Friday, 7 August 2015

सफलता के 20 मँत्र

1. खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!

2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंसा करो..!

3. खुद की भुल स्वीकारने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!

4. किसी के सपनो पर हँसो मत..!

5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!

6. रोज हो सके तो सूरज को उगता हुए देखे..!

7. खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!

8. किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बारपुछो..!

9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!

10. ईश्वर पर पूरा भरोसा रखो..!

11. प्रार्थना करना कभी मत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!

12. अपने काम से मतलब रखो..!

13. समय सबसे ज्यादा कीमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..

14. जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!

15. बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो, क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबो ही देती है..!

16. हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!

17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है, बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!

18. कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है, जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता..?

19. सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ करते है

20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पडता है

Thursday, 6 August 2015

असफलता से हताश न हों।

असफलता से हताश न हों। बारिश से पूर्व तेज गर्मी पड़ती है, उस गर्मी से व्याकुल न हों। जब लंबी कूद लगानी हो तो पाँच-दस कदम पीछे हटना पड़ता है। अतः असफलताओं से निराश मत हो। हिम्मत रखो। ज्यादा मेहनत करो। ज्यादा तीव्र पुरुषार्थ करो। कायर न बनो। कर्त्तव्य से च्युत न हो। अंतःकरण में आत्मश्रद्धा रखकर ज्यादा से ज्यादा पुरुषार्थ करो। सफलता आपका ही वरण करेगी।