एक मंदिर के बहार खड़े मजदूर ने मंदिर के पुजारी से पूछा, पुजारीजी, आप प्रतिदिन ईश्वर की भक्ति करते हैं । धार्मिक ग्रंथो का अध्यन करते हैं । आप हमेशा ईश्वर की शरण में रहते हैं तो निश्चित ही आप ईश्वर के प्रिय हैं । मैं सुबह से काम पर जाता हूँ । दिनभर काम करता हूँ और शाम को खाना खाकर सो जाता हूँ । मुझे ईश्वर प्राप्ति का कोई मार्ग बताएं ।
पुजारी ने कहा -
पुजारी ने कहा -
तुम जिस स्थान पर कार्य कर रहे हो, वह तुम्हारा मंदिर है। जिस निष्ठां से काम करते हो , वही तुम्हारी पूजा है । जिन उपकरणों से काम करते हो, वे ही तुम्हारी पूजन सामग्री हैं । इसके बाद, जो कुछ तुम्हे मिलता है, वही तुम्हारा ईश्वर है ।
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