"चिंता तो चिता से बढ़कर है, नर को निर्जीव बनाती है, मुर्दे को चिता जलाती है, चिंता जिंदा खा जाती है" चिंता आधुनिक मनुष्य का सबसे बड़ा रोग है |
1. चिंताएं अचानक हमला करती हैं और हम उसी वक्त उन्हें मानसिक स्तर पर सुलझाने में लग जाते हैं समस्या सुलझाने का समय तय करें। कोई चिंता हो तो नोट करें। तय समय पर समाधान के बारे में सोचें तब तक आधी चिंता वैसे ही काफूर हो जाएगी।
1. चिंताएं अचानक हमला करती हैं और हम उसी वक्त उन्हें मानसिक स्तर पर सुलझाने में लग जाते हैं समस्या सुलझाने का समय तय करें। कोई चिंता हो तो नोट करें। तय समय पर समाधान के बारे में सोचें तब तक आधी चिंता वैसे ही काफूर हो जाएगी।
2. कोई भी स्थिति लंबे समय तक नहीं टिकती है। चिंता के कारण भी नहीं सिर्फ यह सोचना ही काफी राहत दे सकता है कि एक हफ्ते चिंता की वजह नहीं रहेगी तो मैं कितनी राहत महसूस करूंगा यह दौर गुजर जाएगा, यह सोच ही चिंता खत्म करने के लिए काफी है।
3. अकेले में चले जाएं। हाथ फैलाकर खुद को आकाश को समर्पित करने की भावना प्रकट करें। यही समर्पण है। जब आप ऐसा करते हैं तो अधिक नियंत्रित, अधिक संतुलित होते हैं।
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